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हृदयाघात (दिल के दौरे) एवं तीव्र ज्वर की प्राथमिक चिकित्सा बताइये

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


हृदयाघात
हृदयाघात वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति की धमनी में अवरोध आ जाता है और रक्त प्रवाह रुक जाता है। यदि रक्त प्रवाह को जल्दी से बहाल नहीं किया जाता तो ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के अभाव में दिल की माँसपेशियों को इस तरह नुकसान हो सकता है कि उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इससे हार्ट फेल हो सकता है और मृत्यु हो सकती है।
हृदयाघात एक मेडिकल इमरजेंसी है। लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए। दिल के दौरे का पहला लक्षण देखते ही आपको एकाग्र रहते हुए तेजी से काम लेना होगा। दिल के दौरे की शुरुआत के पहले घंटे को चिकित्सकीय भाषा में "गोल्डन ऑवर" माना जाता है और उस पहले घंटे में अगर इलाज शुरू हो जाए तो वह बहुत कारगर होता है।
सामान्य लक्षण
·       सीने में जकड़न और बेचैनी।
·       साँस जल्दी-जल्दी चलना।
·       कंधों और जबड़ों की ओर फैलता दर्द।
·       चक्कर आना तथा पसीना आना।
·       नब्ज कमजोर पड़ना और मितली आना।
यह अक्सर देखा गया है कि दिल के दौरे के लक्षण बहुत क्षीण या अस्पष्ट होते है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि कमजोर लक्षण होने के बावजूद दिल का दौरा बेहद गंभीर हो सकता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। सीने में तेज दर्द जितना ही यह दौरा गंभीर हो सकता है। अपच, थकान या तनाव से जनित लक्षणों की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
हृदयाघात में प्राथमिक उपचार
मरीज़ को लिटाएँ
दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सबसे पहले आरामदायक स्थिति में लिटाएँ ।
सीने को दबाएँ
दिल के दौरे में धड़कने बंद हो सकती हैं। दौरा अगर अचानक हो तो सीने को दबाकर साँस चालू करने की कोशिश करें। इमरजेंसी फोन करें और एँबुलेंस को तुरंत बुलाएँ।
सीपीआर कैसे दें
·       मरीज को कमर के बल लिटा दें।
·       अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीचों-बीच रखें।
·       हथेली को नीचे दबाएँ ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए।
·       प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक सहायता नहीं आ जाती।
कृत्रिम श्वास दीजिए
मरीज़ को फ़ौरन कृत्रिम श्वास देने की व्यवस्था कीजिए। मरीज़ का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर उठा दें। इससे साँस की नली का अवरोध कम हो जाता है और कृत्रिम साँस में कोई अवरोध नहीं होता है।
नाक दबाएँ
मरीज़ की नाक को उँगलियों से दबाकर रखिए और अपने मूँह से कृत्रिम साँस दें। नथुने दबाने से मुँह से दी जा रही साँस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी। लंबी साँस लेकर अपना मूँह चिपकायें, हवा मूँह से किसी तरह से बाहर न निकल रही हो।
मरीज के मुँह में धीमे-धीमे साँस छोड़ें। दो या तीन सेकंड में मरीज के फेफड़ों में हवा भर जाएगी। ऐसा दो-तीन बार करें। यह भी देखें कि साँस देने पर मरीज की छाती ऊपर नीचे हो रही है या नहीं। कृत्रिम श्वास तब तक देते रहें जब तक अस्पताल से मदद नहीं पहुँच जाती। यदि मरीज अपने आप साँस लेने लगे तो कृत्रिम श्वास देना बंद कर दें।

तीव्र ज्वर की प्राथमिक चिकित्सा
तीव्र ज्वर खुद एक बीमारी नही, केवल किसी बीमारी का लक्षण है। बीमारी का निदान हो तब असली उपचार संभव है। अक्सर हम इस लक्षण का ही उपचार करते है। याद रखें कि हमें केवल ज्वर का इलाज ही नहीं करना है परन्तु उसके कारण का भी इलाज करना है।
बुखार में कुछ गंभीर लक्षण
बुखार में कुछ गंभीर लक्षण इस प्रकार है जिसके लिये तुरंत डॉक्टरी इलाज जरुरी है।
·       १०२ से ज्यादा बुखार
·       बुखार के साथ सॉंस तेजी से चलना। वयस्कों में २० से ज्यादा श्वसनगती।


·       एक हफ्ते से ज्यादा चला हुआ बुखार।
·       दौरे पडना, सुस्त होना, गर्दन अकडना, बेहोशी आदि लक्षण मस्तिष्क से संबंधित है।
·       कहीं भी रक्तस्राव या पीप का होना।
·       शरीर में कही भी गांठ गिल्टीयॉं या सूजन पाना।
·       उदर में असहनीय दर्द होना।
·       जोडों में सूजन या दर्द होना।

तीव्र ज्वर की प्राथमिक चिकित्सा
गीले कपड़े से बदन पोंछना
ज़्यादातर मामलों में गीले कपड़े से बदन पोंछना उपयोगी होता है। यह एक जाँचा हुआ घर में इलाज का तरीका है। कपड़ा गीला करने के लिए ठण्डा पानी इस्तेमाल न करें, इससे व्यक्ति को कपकपाहट होगी। गीले कपड़े से पोंछने से वाष्पन द्वारा शरीर की गर्मी बाहर निकल जाती है। इसी से बुखार कम होता है। इसलिए पानी का ठण्डा होना ज़रूरी नहीं होता।
तीव्र ज्वर की अवस्था मे सिर का तापमान बढ्ने से रोकना चाहिए इसके लिए सिर पर गीली पट्टी करते रहें | पेडू पर मिट्टी की पट्टी लगाने से भी शरीर का ताप कुछ समय मे ही उतर जाता है |