VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

मानव शरीर मे कैंसर क्यों, कैसे और कहाँ-कहाँ होता है | इसके प्रकार बताएं ?

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


कैंसर रोग का कारण है DNA (डीएनए) उत्परिवर्तन जो कोशिका वृद्धि और मेटास्टेसिस को प्रभावित करता है। वे पदार्थ जो DNA (डीएनए) उत्परिवर्तन का कारण हैं उत्परिवर्तजन कहलाते हैं और वे उत्परिवर्तजन जो कैंसर का कारण हैं, कार्सिनोजन कहलाते हैं। कई विशेष प्रकार के पदार्थ विशिष्ट प्रकार के विक्षेपसे जुड़े हुए हैं।तम्बाकू धूम्रपान कैंसर के कई रूपों से सम्बंधित हैऔर 90% फेफड़ों के कैंसर का कारण है। अनेक उत्परिवर्तजन कार्सिनोजन भी हैं, लेकिन कुछ कार्सिनोजन उत्परिवर्तजन नहीं हैं। कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं। कैंसर के प्रकार का नाम ,आमतौर पर उन अंगों या ऊतकों के लिए नाम दिया जाता है ,जहां कैंसर शुरू होता हैं, लेकिन उन्हें उन कोशिकाओं के प्रकार के नाम से भी जाना जाता है जिनसे वो बनते है।


कैंसर को कोशिका के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जो गाँठ से समानता रखती है, इसीलिए, उतक को गाँठ से उत्पन्न माना जा सकता है। सामान्य श्रेणी के उदाहरणों में शामिल हैं-
कार्सिनोमा : उपकला कोशिकाओं से व्युत्पन्न दुर्दम गाँठ.यह समूह सबसे सामान्य कैंसरों को अभिव्यक्त करता है, जिसमें स्तन, प्रोस्टेट, फेफड़े और बड़ी आंत के कैंसर के सामान्य रूप शामिल हैं।
सार्कोमा : संयोजी ऊतक, या मध्योतक कोशिकाओं से व्युत्पन्न दुर्दम गाँठ |
लिंफोमा और रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता) : दुर्दमता हिमेटोपोयटिक (रक्त-बनाने वाली) कोशिकाओं से उत्पन्न होती है।
जनन कोशिका गाँठ : टोटीपोटेंट कोशिका से उत्पन्न गाँठ. वयस्कों में अक्सर शुक्र ग्रंथि और अंडाशय में पाया जाता है; भ्रूण, बच्चों और छोटे बच्चों में अधिकांशतया शरीर की मध्य रेखा पर, विशेष रूप से पुच्छ अस्थि के शीर्ष पर पाया जाता है; घोड़ों में अक्सर पोल (खोपड़ी के आधार) पर पाया जाता है।
ब्लास्टिक गाँठ या ब्लास्टोमा: एक गाँठ (आमतौर पर दुर्दम) जो एक अपरिपक्व या भ्रूणीय उतक के समान होती है।

विभिन्न अंगों मे होने वाले कैंसर के लक्षण :
जीभ और मुँह :

ठीक न होने वाला अलसर या धब्बा या रसौली बाद में जबड़े के नीचे या गर्दन की लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना |

स्वर यंत्र :
आवाज़ का फट जाना, गर्दन में लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना, खास तरह के शीशे से जांच करना ज़रूरी
श्वसनी :
खाना निगलने में मुश्किल होना, गले में वृद्धि होना और गर्दन में लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना
फेफड़े :
चिरकारी खॉंसी व बलगम में खून आना। छाती की एक्स रे फिल्म में व्याधि विकास दिख जाता है
ग्रासनली :
खाना निगलने में मुश्किल होना और ऐसा लगना कि खाना छाती में अटक गया है


अमाशय :
भूख न लगना, घंटों घंटों तक पेट भरा भरा सा लगता रहना, कभी कभी उल्टी आना, पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ या रसौली महसूस हो सकती है, उल्टी में खून आ सकता है
आंतें और मलाशय :
मल में खून आना, मलत्याग की आदतों में बदलाव होना
स्तन :
स्तन में सख्त सी गांठ होना, त्वचा में ठीक न होने वाला अल्सर या वृद्धि, बगलों में लसिका ग्रंथियों में सूजन
गर्भाशय :
रक्तस्त्राव जो कि माहवारी से या गर्भावस्था से जुड़ा हुआ न हो, गर्भाशय ग्रीवा पर कोई असामान्य वृद्धि महसूस होना, पेट के निचले हिस्से में कोई वृद्धि महसूस होना
खून :
रक्तस्त्राव की प्रवृति, लिवर या तिल्ली का बढ़ जाना, बार बार संक्रमण होना
डिंबवाही ग्रंथियॉं :
पेट के निचले हिस्से में गांठ होना
वृषण :

वृषण या वृषण कोश में सूजन

शिश्न :
शिश्न की त्वचा पर मस्से जैसी या अनियमित वृद्धि और बीच बीच में खून निकलना
मूत्राशय :
बीच बीच में पेशाबद्वारा खून निकलना
पुरस्थ ग्रंथी :
पेशाब करने में परेशानी, थोड़ी थोड़ी पेशाब निकलते रहना, पेशाब में पीप, पुरस्थ और मलाशय में सख्त वृद्धि होना
लिवर/ जिगर :
बढ़ा हुआ लिवर, पीलिया या सफेद मल
हड्डियॉं :
हड्डियों से जुड़ी हुई सख्त वृद्धि, जल्दी जल्दी बढ़ती जाती है पर दर्द रहित होती है
लसिका ग्रंथियॉं :
कई जगहों में लसिका ग्रंथियों में सूजन, रबर जैसी हो जाना, बुखार और वजन घटना |