By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
ठण्डे पानी का प्रयोग शरीर पर मुख्यतः दो प्रकार से होता है।
1. अल्पकालीन प्रयोग
2. दीर्घकालीन प्रयोग
अल्पकालीन प्रयोग:
·
शरीर
पर ठण्डे जल के अल्पकालीन प्रयोग के प्रभाव कई प्रकार के होते हैं जिन्हें क्रम से
नीचे बताया जा रहा है।
· रक्तचाप में वृद्धि करता है।
· शारीरिक तापमान को बढ़ाता है।
· शारीरिक नस नाड़ियों में उत्तेजना उत्पन्न करता है।
· त्वचा की कार्यशीलता को बढ़ाता है।
· शारीरिक मांस पेशियों में संकुचन पैदा करता है।
· हृदय की क्रिया शीलता में वृद्धि करता है।
·
हृदय
को मजबूत करता है।
· श्वास की गति को कम करता है।
दीर्घकालिक प्रयोग:
अल्पकालिक प्रभावों की भांति ठण्डे जल के दीर्घकालिक प्रयोग
के प्रभाव भी कई प्रकार के हैं।
· दीर्घकालिक प्रयोग से शारीरिक तापमान घटता है।
· रक्तचाप को कम करता है। शरीरस्थ नाड़ियों को संकुचित करता है।
·
हृदय
की गति को कम करता है।
· त्वचा की कार्यशीलता को कम करता है।
ठण्डे जल से रोगों को आसानी से दूर किया जा सकता है। परन्तु
इसके लिये जल का उपयोग वैज्ञानिक ढंग से करना आवश्यक है। ठण्डे जल से उपचार करने पर शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती
है,
या फिर ये उपचार विजातीय द्रव्यों को शरीर से बाहर निकाल फेंकने
में सहायक होते है। जिससे शरीर की जीवनी शक्ति बढ़ती है और शरीर रोगों को दूर करने में
सफल हो जाता है।
ठण्डे जल के प्रयोग से शरीर की केवल उपरी सतह ही प्रभावित नहीं
होती बल्कि इसका असर हमारे शरीर के भीतरी अंगों जैसे - रक्त शिराओ,
स्नायु मण्डल, आदि पर भी पड़ता है। जिससे इन अंगों से सम्बन्धित रोग दूर हो
जाते है।
रोग निवारण हेतु ठण्डे जल का उचित प्रभाव कुछ विशेष स्थितियों
में ही पड़ता है इसके लिये कुछ बातों पर ध्यान दिया जाना अनिवार्य है।
· ठण्डे जल का प्रयोग त्वचा के एक छोटे से हिस्से पर किया जाये।
· ठण्डे जल के प्रयोग के लिये चुना गया भाग शरीर के लगभग बीच में
हो जैसे उदर स्नान आदि।ठण्डे जल की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो,
तालाब आदि में यह संभव नहीं है।
· ठण्डे जल का दबाव व घर्षण त्वचा पर हो।
· जल का तापमान अत्यधिक कम न हो,
तापमान शारीरिक ताप से थोड़ा ही कम होना चाहिये जिसे रोगी आसानी
से सहन कर सके। फ्रीज या बर्फ मिला जल प्रयोग नहीं करना चाहिये।