आदत या स्वभाव मनुष्य की अर्जित प्रवृत्ति है। पशुओं में भी विभिन्न आदतें पाई जाती हैं। मनुष्य की कुछ आदतें (जैसे मादक वस्तुओं का सेवन) ऐसी हो सकती है जो पूर्वानुभाव की प्राप्ति के लिए उसे आतुर बना सकती है। आदत मुनष्य के मानसिक संस्कार का रूप ले सकती हैं। आदत का बनना व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर होता है।
अच्छी आदतें :
बुरी आदतें :
ऐसी आदतें जो ना सिर्फ आपकी सेहत बिगाड़ती हैं बल्कि उसके दुष्प्रभावों में आपके शरीर पर झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं। आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर वे कौन से कारण है या बुरी आदतें हैं जिससे असमय झुर्रियां पड़ने लगती हैं।
अधिक वसायुक्त भोजन का खूब सेवन करना एक समस्या है | मां-बाप प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन से बचने के लिए किशोर/किशोरियों को हमेशा चेतावनी देते हैं लेकिन उत्सुकता एवं प्रलोभन के कारण तमाम किशोर/किशोरियां ड्रग्स, शराब एवं सिगरेट का आनंद उठाने के लालच से खुद को रोक नहीं पाते। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि जीवन भर के लिए लगने वाली लत किशोरावस्था के दौरान ही लगती हैं। इन बुरी आदतों से शरीर का पूरा तंत्र बदल सकता है और सबसे ज्यादा प्रभावित होता है प्रजनन तंत्र। प्रजनन अक्षमता इसी के परिणामस्वरूप पैदा होती है।
वास्तव में हममें कुछ ऐसी आदतें है जो हमें स्वस्थ रहने ही नहीं देती हैं जैसे –
अच्छी आदतें :
- कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यह स्वास्थ्य के लिए हितकर है ऐसा करने से कई तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है |
- घर में भी सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करते रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
- ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।
- बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
- खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
- खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
- अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
- मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें। कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा अवश्य दें | अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें।
- 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
बुरी आदतें :
ऐसी आदतें जो ना सिर्फ आपकी सेहत बिगाड़ती हैं बल्कि उसके दुष्प्रभावों में आपके शरीर पर झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं। आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर वे कौन से कारण है या बुरी आदतें हैं जिससे असमय झुर्रियां पड़ने लगती हैं।
अधिक वसायुक्त भोजन का खूब सेवन करना एक समस्या है | मां-बाप प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन से बचने के लिए किशोर/किशोरियों को हमेशा चेतावनी देते हैं लेकिन उत्सुकता एवं प्रलोभन के कारण तमाम किशोर/किशोरियां ड्रग्स, शराब एवं सिगरेट का आनंद उठाने के लालच से खुद को रोक नहीं पाते। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि जीवन भर के लिए लगने वाली लत किशोरावस्था के दौरान ही लगती हैं। इन बुरी आदतों से शरीर का पूरा तंत्र बदल सकता है और सबसे ज्यादा प्रभावित होता है प्रजनन तंत्र। प्रजनन अक्षमता इसी के परिणामस्वरूप पैदा होती है।
वास्तव में हममें कुछ ऐसी आदतें है जो हमें स्वस्थ रहने ही नहीं देती हैं जैसे –
- पंचतत्वों का कम उपयोग करना जिससे शरीर में उनका अनुपात असंतुलित हो जाता है।
- सूर्य के प्रकाश का अभाव - शरीर को धूप लगने ही न देना।
- स्वच्छ हवा एवं पानी का अभाव- प्रदूषित पानी पीते रहना और प्रदूषित वातावरण में वास करना या काम करना।
- भोजन सम्बन्धी बुरी आदतें - भूख न होने पर भी ठूसण्ठूस कर खाना।
- अप्राकृतिक जीवनशैली में हम अपने अंदर कुछ ऐसी बुरी आदतें डाल लेते हैं जो हमें रोगी बना देता है। अगर हम इन बुरी आदतों को छोड़ दें तो हम स्वस्थ हो सकते हैं। ऐसी आदतों में कुछ निम्नलिखित हैं
- आलस्य
- प्रकृति के पंचतत्वों का कम से कम उपयोग
- कृत्रिमता से अनुराग (प्रकृति से दूर कृत्रिम पदार्थों से लगाव)
- अनियमित भोग-विलास (इन्द्रियशक्ति का दुरूपयोग)
- मिथ्योपचार अर्थात गलत उपचार या चिकित्सा
- मानसिक कुविचार या नकारात्मक चिन्तन (जैसे ईष्र्या, द्वेष, कुढ़न, भय, आशंका, काम, क्रोध आदि)
- अप्राकृतिक आहार का सेवन, चटपटे भोजन को ऐसे तैयार किया जाता है तक उनमें पौष्टिक तत्व ही न बचें।
- बेमेल व विपरीत आहार का सेवन करना ।
- गरिष्ठ व रेशेरहित भोजन का सेवन करना।
- मिलावटी व प्रिजर्वेटिव रसायनिक प्रभाव वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना।
- कृतिम वस्तुओं में ज्यादा विश्वास और उपभोग करना।
- जहरीले, उत्तेजक, नशीली व मादक पदार्थों का सेवन करना।
- अनियमित भोग विलास करना।
- असंयत जीवन जीना।
- अनावश्यक रूप से देर रात तक जागते रहना।
- आराम का अभाव, शरीर व दिमाग को न रात को और न ही अधिक परिश्रम के बाद आराम करने का मौका देना ।
- यौगिक क्रियाओं एवं श्रम का अभाव, आलस्य के कारण दोनों को न अपनाना।
- क्षमता से अधिक परिश्रम करना और शरीर को कमजोर बनाना।
- थकान और आलस्य ये दोनों ही अप्राकृतिक जीवन जीने वालों के लिए प्रिय हैं, जो काम से जी चुराते हैं।
- स्वच्छता में कमी, आंतरिक व बाहरी स्वच्छता के प्रति उदासीन बने रहना, इससे शारीरिक व मानसिक रोग बढ़ते हैं।
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